20736 बार उत्तम प्राणायाम: शांति और स्थिरता की प्राप्ति का रहस्य

lahirimahasaya, kriyayoga, puranapurush

20736 बार उत्तम प्राणायाम: शांति और स्थिरता की प्राप्ति का रहस्य

पूर्व जन्म में जनित कर्म और क्लेस के निवारण के लिये क्रियावानों को गुरू के उपदेश के अनुसार क्रिया को हमेशा मनोयोग पूर्वक करना चाहिए । १७२८ बार अथवा २०७३६ बार उत्तम प्राणायाम करने से प्राण वायु कूटस्थ में स्थिर होता है । इसमें ही शान्तिपद की प्राप्ति होती है। जो क्रियावान योनिमुद्रा से प्रतिदिन कूटस्थ का दर्शन करता है उसे उस कूटस्थ स्वरूप किले की स्वामिनी दुर्गा संसार रूपी समुद्र से पार कर देती है। क्रिया रूपी नौका द्वारा ऐसा करते-करते चंचल मन स्थिर हो जाता है और इस क्रिया के पश्चात् की प्राप्त अवस्था में सभी पाप नष्ट हो जाते है। " क्रिया करके क्रिया की परावस्था में रहना" सभी बातों का सारांश यही है।
-पुराण पुरुष योगिराज श्री श्यामाचरण लाहिरी महाशय ।